Hello दोस्तो,आज हम आपको account से संबंधित सभी जानकारी देने वाले है। किसी भी business जो चलाने के लिए उस बिज़नेस का हिसाब किताब काफी ज्यादा जरूरी होता है ऐसे में हमे जरूरत पड़ती है एकाउंटिंग की।। पुराने समय मे लोग manual accounting मतलब की एक register में आने एकाउंट का लेखा जोखा रखते थे मगर वक़्त के साथ सब कुछ बदल गया। आज दुनिया आगे बढ़ चुकी है आज modern accounting का जमाना है जिसमे हम टैली, बिजी एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर, marg सॉफ्टवेयर इत्यादि का उपयोग करके अपने एकाउंट को काफी अच्छी तरह से manage कर सकते है। आज के इस आर्टिकल में मैं आपको बताउगा की Account क्या है? Accounting क्या है? types of accounting in hindi, एकाउंटिंग का क्या उपयोग है साथ ही साथ ये भी बताउगा की Accounting terminology क्या है तो आइए जानते है।
Introduction of Accounting:- एकाउंटिंग का परिचय
Accounting एक art है इसके अंदर हम Recording करते है, classifying करते है और summarizing करते है एक proper significant manner की तरह।
यहाँ पर recording का मतलब है कि data को record करना।
Classifying का मतलब है उनको एक जगह से उठाकर दूसरे जगह पर रखना।
Summarizing का मतलब है कि उसको उसकी सही जगह पर पहुचाना।
Significant manner का मतलब है कि कई तरीके से रखना।
इन सभी factors को मिलाकर हम Account को define करते है।
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आइये एक उदाहरण से समझते है की what is Accounting?
शिवम की wife ने उससे कहा कि ये लो एक बैग और जाओ market से कुछ सामान ले आओ और उसको wife ने उसको एक list दी जिसके अंदर बताया कि आलू गोभी टमाटर आदि लाना है तो ये process हो गई आपकी recording।।
फिर शिवम बाजार गया सामान लेने और सामान को ले आकर एक जगह पर रख दिया, फिर उसकी wife आई और बोली कि इन सब सामान को अलग-2 करो,तो उसने आलू को आलू के डिब्बे में डाल दिया, टमाटर को फ्रिज में रख दिया तो ये process को हम classify करना कहते है।
हमारे business और firms की सभी transaction को Systematically way में एक book में maintain करना जिससे हम अपनी कंपनी की सारी details को भली भांति जान सके और ये analysis कर सके कि company की financial position आखिर क्या है, मतलब की company भविष्य मे profit करेगी या loss करेगी या फिर किस features को add करके कंपनी के profit में increment ला सकते है। यह तारिख के क्रम में या फिर नियम के अनुसार होता है।
Advantage of accounting:-
1:- Business मे Help Karta hai like, planning, decision making, controlling.
2:-Proved complete and systematic recording.
3:-Information regarding profit and loss.
4:-Information regarding the financial position.
5:-Help in the assessment of tax liability.
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What is Account Definition (खाते से आशय):-
किसी व्यक्ति, वस्तु ,विशेष , सम्पति लाभ या आय, हानि या व्यय आदि से संबंधित व्यवहारो का total record, हिसाब- किताब की पुस्तकों में जिस शीषक में रखा जाता है उसको हम खाता कहते है।
Example:- शांति ट्रेडर्स से संबंधित सारे लेन देन का हिसाब लेखा पुस्तको में एक जगह पर संछिप्त में लिखा जाएगा तो उनको हम शांति ट्रेडर्स का खाता कहते है।
खाते के दो पछ (Side) होते है।
1:-Debit Side (नाम पछ)
2:-Credit Side(जमा पछ)
Debit side left की तरफ होता है और Credit side आपका Right की तरफ होता है।
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आइये Debit और Credit को विस्तार में जाने।
Debit:- जब किसी खाते के नाम पछ में प्रविष्टि की जाती है तो इसको नाम या debit करना कहते है। डेबिट से तात्पर्य है कि किसी का नाम लिखने से होता है यानी कि हमने यदि किसी को माल उधार बेचा है तो हम वह राशि किसी के नाम ही लिख देते है। यहाँ किसी के नाम पर वह राशि लिख देना ही debit कहलाता है। Debit को हम short में Dr लिखते है।
उदाहरण:- दीपक ने आपसे 1000 rs का माल खरिदा तो आपने क्या किया कि दीपक के नाम पर वो 1000 rs लिख दिए तो उसे commerce की भाषा मे debit कहते है, दीपक के account को debit करना होगा।
Credit:- क्रेडिट से तात्पर्य जमा करने से होता है यानी कि यदि हमने किसी को उधार कोई माल बेचा है और वह हमें वापस पैसा देता है तो हम उस व्यक्ति के नाम से उसके खाते में वह राशि Credit कर देते हैं मतलब की जमा कर देते है। क्रेडिट को हम short में Cr लिखते है।
उदाहरण:- शिवम को हमने goods बेचा है और उसने हमको पैसा दिया है तो उधार जब उसने खरिदा तो हमने उसके account को Debit किया और जब उसने हमको पैसा दिया तो हमने उस पैसे को उसके खाते में Credit कर दिया यानी पैसा उसके खाते में जमा कर दिया।।
Classification of Accounts खातों के वर्गीकरण:- types of accounting in hindi.
Account में खाते 3 प्रकार के होते है।
1:-Personal Account (व्यतिगत खाता)
2:-Real Account (वास्तविक खाता/वस्तुगत खाता)
3:-Nominal Account ( नाममात्र का खाता/अवास्तविक खाता)
1:-Personal Account (व्यतिगत खाता):- ऐसे सभी खाते जो किसी व्यक्ति, संस्था, बैंक, फर्म या फिर कंपनी से संबंधित होते है उनको हम Personal Account (व्यतिगत खाता) कहते है।।
Example:-Sandeep A/c, ABC pvt limited A/c, SBI Bank Account, Capital A/c, Drawing A/c etc
Rules of Personal Account:-
1:- व्यपार में वस्तु पाने वाले व्यक्ति के खाते को Debit करे।
2:- व्यपार में वस्तु लेने वाले व्यक्ति के खाते को Credit करे।
Debit the receiver, credit the giver
2:-Real Account (वास्तविक खाता/वस्तुगत खाता):- ऐसे सभी एकाउंट जो वस्तुओं से संबंधित होते है, ऐसी वस्तुए जिन्हें हम दाख सकते है, मगर महसूस नही कर सकते उन्हें हम Real Account (वास्तविक खाता/वस्तुगत खाता) कहते है।
Example:-Purchase A/c, cash account, furniture’s account, Building account, computer account etc.
Rules of Real Account:-
1:-व्यपार में आने वाली समस्त वस्तुओं के खातों को debit करे।
2:-व्यपार से जाने वाली समस्त वस्तुओं के खातों को credit करे।
Debit was comes in
Credit was goes out.
3:-Nominal Account ( नाममात्र का खाता/अवास्तविक खाता):- व्यपार में समस्त खर्चो और हानियों व लाभ, आय से सम्बंधित खातों को Nominal Account ( नाममात्र का खाता/अवास्तविक खाता) में
रखा जाता है।
Example:- Wages account, Salary account, Commission account, Rent account etc
Rules of Real Account:-
1:- व्यपार के समस्त खर्चो व हानियों को Debit करे।
2:- व्यपार के समस्त लाभ व आय को Credit करे।
Debit all expenses and loss
Credit all income and gains.
Terminology of Accounting (लेखाकन की पारिभाषिक शब्दावली):-
1: व्यपार (Trade):- Trade का मतलब ये है कि लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया वस्तुओ का क्रय विक्रय ही व्यपार कहलाता है।
2:व्यवसाय (Business):- कोई एक ऐसा वैधानिक कार्य, जो आय income लाभ प्राप्त करने के purpose से किया जाता है वो व्यवसाय (Business) कहलाता है।
व्यवसाय एक व्यापक शब्द है जिसके अंतर्गत उत्पादन ,वस्तुओं, सेवाओ का क्रय विक्रय, बैंक,बीमा परिवहन कंपनीया आदि आते है।
3: पेशा (Profession):- आय अर्जित करने के लिए किया गया कोई भी काम या फिर साधन जिसके लिए पूरा प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है उसको हम पेशा कहते है। जैसे कि- Doctor, Teacher, Engineer आदि के द्वारा किये गए काम पेशा कहलाते है।
4:- मालिक (Owner):- वह व्यक्ति या वस्तुवों का समूह जो व्यपार में आवश्यक पूँजी लगाते है, व्यपार का संचालन करते है तथा लाभ व हानि के अधिकारी होते है वो व्यपार के मालिक owner कहलाते है।
यदि किसी व्यपार का मालिक कोई एक ही व्यक्ति है तो वह एकाकी व्यपारी (Propwriter) कहलाता है।
यदि मालिक दो या दो से अधिक व्यक्ति है तो साझेदार (Partners) कहलाते है।
यदि बहुत से लोग मिलकर संगठित रूप से कंपनी के रूप में कार्य करते है तो वे उस कंपनी के अंशधारी मतलब की (Shear holder) कहलाते है।
5:पूंजी (Capital):- व्यपार का स्वामी जो रुपए, माल ,सम्पति आदि चीजे व्यपार में लगाता है उसको ही हम पूंजी कहते है।
Example:- रोहन ने 20000 रु नगद लिए और 10000 रु के माल से एक computer की दुकान खोली तो ऐसी स्थिति में उसकी इस व्यपार में लगी हुई पूंजी 30000 रु होगी। व्यपार में लाभ होने पर पूंजी बढ़ती है और हानि होने पर पूंजी घटती है।
6: माल (Goods):- माल उस वस्तु को कहते है जिनका क्रय और विक्रय व्यपार में किया जाता है। माल के अंतर्गत वस्तुओ के निर्माण हेतु प्राप्त सामग्री हो सकते है।
Example:- वस्त विक्रेता द्वारा खरिदा गया कपड़ा, उस व्यपारी के लिए goods माल है।
7:- आहरण (Drawing):- व्यपार का स्वामी अपने निजी खर्च के लिए समय-2 पर व्यपार में से जो रुपए या फिर माल निकालता है तो वह उसका आहरण (Drawing) या निजी खर्च कहलाता है।
8:- क्रय (Purchase):- वो सभी items जिसको sale करने के purpose से खरिदा जाता है वो Purchase कहलाती है। व्यपार में माल उधार या फिर नगद खरिदा जा सकता है।
9:- विक्रय (Sale):- वो सभी items जिसको हम sale करते है वो sale कहलाती है। मतलब की जो माल बेचा जाता है उसको हम विक्रय कहते है। आपको बता दु की जो माल नकद बेचा जाता है उसको नकद विक्रय मतलब Cash sale कहते है और जो माल उधार बेचा जाता है उसको हम credit sale कहते है।
10: क्रय वापसी (Purchase Return/Return Outward):- जब भी खरिदे गए माल में से कुछ माल विभिन कारणों से वापस कर दिया जाता है तो उसको हम क्रय वापसी (Purchase Return/Return Outward) कहते है। मतलब की Goods Return to the seller for any reason
11:-विक्रय वापसी (Sale Return/Return Inword):- जब बेचे गए माल का कुछ भाग विभिन कारणों से व्यपारी लौटा देता है तो इस प्रकार की वापसी को हम विक्रय वापसी (Sale Return/Return Inward) कहते है। मतलब की Goods Return by the customer for any reason
12:- रहतिया (Stock):- वो सभी items जिनको हमने अभी नही बेचा है वो हमारा stock कहलाता है। और दूसरी भाषा मे ये कह सकते है कि वो सभी items जो अभी मेरे Godown में है, जिसको मैंने Sale out नही किया है वो Stock कहलाता है।
साल के अंत मे जो माल बिना बिके रह जाता है उसको हम Closing Stock कहते है। और अगले साल के पहले दिन वही माल हमारा Opening Stock कहलाता है।
13:-Cost:- जो माल मैंने बेचा है उसकी cost क्या है, वही को हम cost कहते है।
14:- लेनदार (Creditor):- वह व्यक्ति या फिर संस्था जो किसी अन्य व्यति या संस्था को उधार पर माल या सेवाएं बेचती है वो लेनदार (Creditor) कहलाते है।
15:- देनदार (Debtors):- वह व्यक्ति या फिर कोई संस्था जो किसी अन्य व्यति या संस्था से माल या सेवाएं या फिर रुपए उधार देती है वो देनदार (Debtors) कहलाते है।
16:- दायित्व (Liabilities):- Liabilities हमारी देनदारी होती है। Liabilities हमारी वो Activities होती है जो owner को छोड़कर हमे सबको देनी होती है या फिर ऐसा कह सकते है कि वो सभी Activities जो व्यपार को अन्य व्यतियो अथवा अपने स्वामी या फिर स्वामी के प्रति चुकाने होते है वो दायित्व (Liabilities) कहलाते है।
दायित्व (Liabilities) मुख्यतः दो प्रकार की होती है।
1:-स्थायी दायित्व (Long term/Fixed Liabilities):-
2:-चालू दायित्व (Short Term/ Current Liabilities):-
17:- सम्पति (Assets):- हमारे व्यपार में समस्त वस्तुवें जो व्यपार संचालन में सहायक होती है वो सम्पति (Assets) कहलाती है।
सम्पति (Assets) मुख्यतः दो प्रकार की होती है।
1:- अचल संपत्ति (Fixed Assets)
2:- चल सम्पति (Current Assets)
18:- Expenditure:- ये वो ख़र्चे होते है जिनके लिए मैंने pay करा होता है, ऐसे खर्चे जिसको मैंने pay किया और लाभ मिला।
19:- व्यय (Expenses):- हमारे माल के उत्पादन और उसे बेचने में जो भी खर्चे होते है वो व्यय (Expenses) कहलाते है। Example:- Electricity Expenses, Rent , Salary etc.
व्यय (Expenses) मुख्यतः दो प्रकार के होते है।
1:- प्रत्यक्ष व्यय ( Direct Expenses)
2:- अप्रत्यक्ष व्यय ( Indirect Expenses)
1:- प्रत्यक्ष व्यय ( Direct Expenses):-ये वो खर्चे होते गई जिन्हें व्यपारी माल खरीदतें वक़्त करता है।( Direct Expenses) वस्तु की लागत का एक हिस्सा होता है। गाड़ी भाड़ा,मजदूरी,फैक्ट्री की बिजली आदि प्रत्यक्ष व्यय ( Direct Expenses) के अंतर्गत आते है।
2:- अप्रत्यक्ष व्यय ( Indirect Expenses) वो सभी expenses जिनका संबध वस्तु के क्रय या उसके निर्माण से ना होकर वस्तु की बिक्री या कार्यलय संबधी होता है।अप्रत्यक्ष व्यय ( Indirect Expenses) कहलाते है।
इसके अंतर्गत वो expenses है जैसे कि विज्ञापन,विक्रय पर गाड़ी भाड़ा,बिजली का बिल,Discount इत्यादि।
20:- राजस्व (Revenue):-Goods या service को market में sale करने पर उससे जो प्राप्ति होती है उसको ही हम राजस्व (Revenue) कहते है।
21:- छूट (Discount):-व्यपारी द्वारा अपने customers को दी जाने वाली रियासत ही Discount कहलाती है।
22:- Bad Debts:- व्यपारी को उधार बेचे गए माल की पूरी रकम Debtors यानी देनदारों से प्राप्त हो जाये ये आवश्यक नही है इसलिए इस उधार की रकम में से जो वसूल नही हो पाती है उसे व्यपारी का Bad Debts कहते है।
23:- Voucher:- व्यपार संबंधी सभी व्यवहार व लेन देन के प्रमाण के लिए जो documents दिए या फिर लिए जाते है उन्हें हम voucher कहते है। business में जो भी transactions होते है उनको टैली सॉफ्टवेयर में record करने के लिए हम vouchers का उपयोग करते है।
24:- Balance sheet:- कंपनी का statement, जो कंपनी की सारी details आपको बताता है उसी को हम Balance sheet कहते है।
Balance sheet एक written स्टेटमेंट होता है,जो कंपनी के details को दिखाता है कि कंपनी profit कर रही है या फिर loss balance sheet को हम साल के end में बनाते है। Read More Articles:- GST Hindi Book PDF Free Download 2022
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पोस्ट से संबंधित सारांश:-
आज की इस आर्टिक्ल मे मैंने आपको बताया की Accounting क्या है? What is Accounting? Types of accounting in hindi, एकाउंटिंग का क्या उपयोग है से संबन्धित सभी जानकारी आज मैंने आपको दी।
अगर आपको Accounting क्या है what is accounting, और अकाउंटिंग से संबन्धित कोई भी परेशानी हो, तो आप मुझे मेल कर सकते है , मैं जल्दी ही आपकी परेशानी को दूर करने की पूरी कोशिश करुगा। मैं उम्मीद करता हु की आपको ये आर्टिक्ल पसंद आया होगा, अगर आपको ये आर्टिक्ल पसंद आया हो तो इसको सोश्ल मीडिया पर अपने दोस्तो के साथ जरूर से शेयर कीजिए, जिस से उनको भी ये जानकारी प्राप्त हो सके।
Very good knowledge
Sir ji aap Tally se sambandhit jo bhi topic update karte h uska pdf bhi daily plz sir
Ok sure…
Hello sir,
Good evening,
Sir, tally main credit Balance Or Debit Balance ko Achchhe se define karain
hello mohit, bahut hi jaldi ye article aapko mil jaega wait
Happy Teacher’s day sir ji
sir ji aapne abhi tak PDF uplod nahi kya …?
Thanks..
Sorry mai thoda bahar hu kisi kaam ki wajah se jaise hi free hoga aap sbhi ke liye pdf tally ke upload kar duga don’t worry..
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर आपका समझाने का स्टाइल बहुत अच्छा है
Thanks bhai
बहुत ही बढ़िया explain किया है आपने ….Nice Article
thanks
Helpful Article
What is the information, I really enjoyed it, that’s why Sir, will you help me to spread the education information to others?
Thanks Buddy
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर
दीपेश कुमार जी काफी अच्छे से आपने इस विषय पर जानकारी दी हुई है।
मुजे इस लेख को पढ़ ने मे काफी मजा आया इशी तरहा आप और भी हिन्दी मे लेख प्रदान करना धन्यवाद।
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है
wow sir this is very helpful me thanks sir ji
apke hindi likhne ka tarika bahut achcha hai kon si baat kaise likhni chahiye . shabdo ka chunav aasa kiya jaise koi teacher ho. headings banane ka tarika bahut sandar hai . ye jo apne book suggest kiya hai soch rha hu buy kar lu.
accounting par itni detailed information apne di sir uske lie dil s bhut bhut dhnaywad….
kripya ese he blog post likh kr hmara margdarsh karte rahiye .
Thanks Aman
दीपेश कुमार जी काफी अच्छे से आपने इस विषय पर जानकारी दी हुई है।
मुजे इस लेख को पढ़ ने मे काफी मजा आया इशी तरहा आप और भी हिन्दी मे लेख प्रदान करना धन्यवाद।
Great Airticle Sir, Thanks for Sharing this awesome article